Seminar on Anti Ragging
जेसीडी डेन्टल कॉलेज में रैगिंग के खतरे को रोकने के उपाय विषय पर सेमिनार का आयोजन।
रैगिंग के कारण अवसादग्रस्त होकर विद्यार्थियों का गिर सकता है मनोबल : प्रोफेसर ढींडसा
सिरसा 05 मई , 2023 : जेसीडी विद्यापीठ में स्थापित डेन्टल कॉलेज में शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग के खतरे को रोकने के उपाय” पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया । जिसमें मुख्य वक्ता डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य और सचिव, इंडियन डेंटल एसोसिएशन, पंजाब डॉ. सचिन देव मेहता उपस्थित हुए तथा अध्यक्षता जेसीडी डेन्टल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर अरिंदम सरकार एवं डेंटल कॉलेज के डायरेक्टर डॉक्टर राजेश्वर चावला द्वारा संयुक्त रुप से की गई । इस अवसर पर जेसीडी डेंटल कॉलेज के विभिन्न विभागों के अध्यक्षों के अलावा अनेक अन्य अधिकारीगण एवं प्राध्यापकगण भी मौजूद रहे। इस कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य वक्ता एवं अन्य अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया।
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इस सेमिनार में मुख्य वक्ता एवं अन्य अतिथि गण का प्राचार्य डॉ. अरिंदम सरकार द्वारा स्वागत एवं अभिवादन किया गया । उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि इस सेमिनार के माध्यम से विद्यार्थियों को रैगिंग सम्बन्धी बहुत सी जानकारियां हासिल हो पाएंगी, जिसके बारे में वह नहीं जानते तथा इसका उन्हें लाभ प्राप्त होगा। उन्होंने ऐसे आयोजनों हेतु हरसंभव सहयोग प्रदान करने के लिए जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक प्रोफेसर डॉ कुलदीप सिंह ढींडसा का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि इस सेमिनार के आयोजन कराने के पीछे हमारा मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में रैगिंग सम्बन्धी अनेक भ्रांतियों को दूर करके उन्हें जानकारी हासिल करवाना है , जिससे विद्यार्थी इस प्रकार की घटना से बच सकें तथा उचित शिकायत दर्ज करवा सकें।
बतौर मुख्य वक्ता अपने संबोधन में डॉ. सचिन देव मेहता ने सर्वप्रथम जेसीडी विद्यापीठ में व्याप्त हरे-भरे कैम्पस एवं अनुशासित माहौल की प्रशंसा करते हुए रैगिंग सम्बन्धी जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि रैगिंग एक कुप्रथा है तथा इसके उन्मूलन के लिए हमें एक अभियान की आवश्यकता है, जिसके लिए सभी को एकजुट होकर तथा जागरूकता के माध्यम से इस कुप्रथा को मिटाने हेतु प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि यह कुप्रथा किसी न किसी रूप में शिक्षण संस्थाओं में विद्यमान है जिसके परिणामस्वरूप अनेक विद्यार्थियों को अपने अनमोल जीवन से हाथा धोना पड़ता है, वहीं अनेक विद्यार्थी तो इसके कारण अवसादग्रस्त हो जाते हैं जिसके चलते उनके शिक्षण सम्बन्धी पुनीत कार्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि रैगिंग की रोकथाम सबसे प्रभावी हो सकती है यदि रैगिंग को सामूहिक प्रयास द्वारा समर्थित किया जाए। समाज और विशेष रूप से अकादमिक समुदाय की ओर से सामूहिक प्रयास किया जाए। इस प्रकार इसमें प्रशासकों, संस्थानों के कर्मचारियों, कानूनी विशेषज्ञों, मीडियाकर्मियों, माता-पिता, मनोवैज्ञानिकों, राजनीतिक प्रतिनिधियों, राज्य सरकारों और स्थानीय अधिकारियों के प्रतिनिधियों, छात्रों, छात्र संगठनों, वैधानिक अधिकारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, समाजशास्त्रियों, शिक्षकों, रैगिंग के शिकार लोगों को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रैगिंग रोधी सामग्री का प्रचार ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए और संस्थान प्राधिकरण को रणनीतिक बिंदुओं पर ‘फ्री रैगिंग हेल्पलाइन’ स्थापित करनी चाहिए।
इस अवसर पर अपने संबोधन में जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर डॉ कुलदीप सिंह ढींडसा ने विद्यार्थियों एवं अन्य अतिथियों व उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा समाज एवं देश की मेरूदण्ड है और यदि इसे ही कमजोर कर दिया जाएगा तो हमारे देश एवं समाज के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा को भयमुक्त, विकासोन्मुखी एवं उन्नत बनाने के लिए पूरे समाज का यह दायित्व व कर्तव्य बनता है कि वे रैगिंग जैसी अमानवीय कुप्रथा को एकजुट होकर तथा विद्यार्थियों में जागरूकता फैलाकर इसे समाज से नष्ट करने हेतु सफलतम प्रयास करें। उन्होंने कहा कि रैगिंग से छात्रों का मनोबल गिर सकता है। यह पीड़ित को इस हद तक प्रभावित कर सकता है कि वह शिक्षण संस्थानों के लिए एक फोबिया विकसित कर सकता है। जिन लोगों को अत्यधिक रैगिंग के लिए निर्देशित किया गया है, वे शैक्षणिक गतिविधियों में पूरी तरह से रुचि खो देते हैं। किसी के लक्ष्यों और आकांक्षाओं के प्रति सभी उच्च आशाएं और आकांक्षाएं धराशायी हो जाती हैं, जिससे वह अपने शेष जीवन के लिए असहाय और विकलांग हो जाता है। रैगिंग का उच्च शिक्षा के स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। रैगिंग हिंसा को बढ़ावा देती है और यह राष्ट्र के विकास में बाधा बन सकती है। डॉ. ढींडसा ने इस सेमिनार में डॉ. सचिन देव मेहता द्वारा महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाने हेतु उनका आभार प्रकट करते हुए कहा कि जेसीडी विद्यापीठ में इस कुप्रथा पर पूर्ण अंकुश लगाया गया है तथा विद्यार्थियों में भी समय-समय पर ऐसे सेमिनारों के माध्यम से जागरूकता लाई जाती है।
इस मौके पर जेसीडी डेन्टल कॉलेज के स्टॉफ सदस्य, विद्यार्थीगण, विभागाध्यक्ष एवं अन्य प्राध्यापकगण के अलावा अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में मुख्य वक्ता को संस्थान की ओर से स्मृति चिह्न प्रदान करके सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम का समापन डॉ. राजेश्वर चावला, निदेशक जेसीडी डेंटल कॉलेज, सिरसा द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।